चलता रहा इस नगर उस डगर... हर महफिल सूनता रहा सुनाता रहा... उसे ढूढता रहा... बस इसी तरह... May 28, 2014 Read more
परिन्दे May 20, 2014 हूसन-ए-परिन्दे यू हीं चले जाते हैं हम उनके आने के आघोश में खो जाते है। Read more