ख्वाहिशें December 06, 2015 वो कुछ ख्वाहिशों की परछाई थी जो ढलगयी। बाकी सब दबती जा रही है तर-बतर यादों की परतों के नीचे। Read more
Poem December 06, 2015 इतनी मिलती है मेरी कविताओं से तेरी शक्ल, लोग मुझे तेरा आशिक समझते होंगे। Read more