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Showing posts from 2016

यादें

उगल रही है आग... सुलग रहा है शहर... पिगल रही है सङके... सिमट रही है रातें... धूमिल हो रही है यादें... कट रहें है दिन ... बस इसी तरह... बस इसी तरह...

जज्बा

जज्बे में झुकती है-झुकती है मेरे होने की तकलीफें सारी।         उभरती है-उभरती है ख्वाहिशें दूर तक जाने की ।।