यादें May 22, 2016 उगल रही है आग... सुलग रहा है शहर... पिगल रही है सङके... सिमट रही है रातें... धूमिल हो रही है यादें... कट रहें है दिन ... बस इसी तरह... बस इसी तरह... Read more
जज्बा February 10, 2016 जज्बे में झुकती है-झुकती है मेरे होने की तकलीफें सारी। उभरती है-उभरती है ख्वाहिशें दूर तक जाने की ।। Read more