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Showing posts from May, 2016

यादें

उगल रही है आग... सुलग रहा है शहर... पिगल रही है सङके... सिमट रही है रातें... धूमिल हो रही है यादें... कट रहें है दिन ... बस इसी तरह... बस इसी तरह...