दोंनो जयपुर लिटरेचर फेस्ट मे मिले थे
मुगल टैंट में दोनों कि मुलाकात जावेद अख़्तर को सुनते वक्त होती है,
"ये वक़्त क्या है?
ये क्या है आख़िर
कि जो मुसलसल गुज़र रहा है "
दोनों एक साथ कविता वाली दरिया मे गोता लग रहे होते हैं
तबी एक बहुत खूबसूरत अन्तरे पर झूम उठते हैं
"कभी-कभी मैं ये सोचता हूँ
कि चलती गाड़ी से पेड़ देखो
तो ऐसा लगता है दूसरी सम्त जा रहे हैं
मगर हक़ीक़त में पेड़ अपनी जगह खड़े हैं "
लड़का कितना साइंटिफिक लिखा है,
लड़की टोकते हूए बोलती है
है, डोनट बी साइंटिफिक, एंजॉय योर इमोशन,
लडका, नो , इट इस् थियोरी ऑफ़ रैलिटीवीटी।
लड़की जोर से हसते हुए, अब सुनों
"ये वक़्त साकित हो और हम हीं गुज़र रहे हों "
कितना खूबसूरत है ना,
फिर दोनों जावेद अख़्तर को कम और एक दुसरे को ज्यादा सुनने लगते है।
मुगल टैंट में दोनों कि मुलाकात जावेद अख़्तर को सुनते वक्त होती है,
"ये वक़्त क्या है?
ये क्या है आख़िर
कि जो मुसलसल गुज़र रहा है "
दोनों एक साथ कविता वाली दरिया मे गोता लग रहे होते हैं
तबी एक बहुत खूबसूरत अन्तरे पर झूम उठते हैं
"कभी-कभी मैं ये सोचता हूँ
कि चलती गाड़ी से पेड़ देखो
तो ऐसा लगता है दूसरी सम्त जा रहे हैं
मगर हक़ीक़त में पेड़ अपनी जगह खड़े हैं "
लड़की टोकते हूए बोलती है
है, डोनट बी साइंटिफिक, एंजॉय योर इमोशन,
लडका, नो , इट इस् थियोरी ऑफ़ रैलिटीवीटी।
लड़की जोर से हसते हुए, अब सुनों
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