एशिया से लेकर अमेरिका तक
घृणा की आग फैली नहीं फैलायी गई हैं,
शरहदे बनी नही बनवायी गई है
मुल्कों ने लड़ाई करी नही कराई गयी है
दीवारें भी बनी नही बनवायी जा रही है
आग फेली नही फैलाई गयी है
मध्य एशिया, यमन, सिरिया से लेकर
लैटिन अमेरिका तक इसी आग में
इंसानों को मारा और जलाया जा रहा है।
सीरिया के अल्लेपो से लेकर
श्रीलंका के केन्डी तक
चीन के शिंगजियांग से लेकर
म्यांमार के रेखायन तक ।
इराक के बग़दाद से लेकर
ईरान के तेहरान तक
पाकिस्तान के बलूचिस्तान से लेकर
हिन्दुस्तान के कश्मीर तक
फिलिस्तीन गाज़ा से लेकर
अफगानिस्तान के काबुल तक।
यमन, नाइजीरिया, पोंगयांग से
वियतनाम तक
यहा पर बिखरी पड़ी है
लाखों इंसानी लाशें ओर हड्डीया।
इन पर रसायनो और मिसाइलो से
हमले हूए नही थे करवाये गए थे
बच्चे मरे नही थे मरवाये गए थे
उनके घर जले नही थे जलवाये गए थे
शरणार्थी बने नही थे बनाये गए थे
हूकुमतों के फरमान है
कहीं पर अमेरिका छोड़ने का तो
कहीं पर पाकिस्तान चले जाने का
कही पर पङोसी मुल्कों की सरहदों पर दिवारे बनाने का।
इंसानो को मरने और मारने की तरकीबे रची जा रही है
यह घृणा की आग फैली नही थी, फैलायी जा रही है
गाँधी और मार्टिन लुथर् मरे नही थे मरवाये गए थे
वोे बटवारे के वक्त कत्ल हुए नही थे, करवाए गए थे
खून और मांस के चिथड़े फैले नही थे, फैलाए गए थे
एनकाउंटर हुआ नही था करवाया गया था
जज, मंत्री पत्रकार और लेखक
मरे नही थे मरवाये गए थे
दगे हुए नही थे करवाये गए थे
हिन्दू और मुस्लमान लड़े नही थे
लङवाय गए थे
गाय मरी नही मरवाई गयी थी
अफवाहें फेली नही थी फेलाई गयी थी
भीड़ आयी नही थी बुलायी गयी थी
इंस्पेक्टर मरा नही मरवाया गया था
झूठ बोला नही था बुलवाया गया था
ये सब किसी ने करा नही था करवाया गया था
और जब जब ऐसा करवाया जाता है तब तब
सीरिया के समुद्र के किनारे पर मासूम बच्चे की लाश
हम इंसानों के वंशजो से सवाल करती है??
घृणा की आग फैली नहीं फैलायी गई हैं,
शरहदे बनी नही बनवायी गई है
मुल्कों ने लड़ाई करी नही कराई गयी है
दीवारें भी बनी नही बनवायी जा रही है
आग फेली नही फैलाई गयी है
मध्य एशिया, यमन, सिरिया से लेकर
लैटिन अमेरिका तक इसी आग में
इंसानों को मारा और जलाया जा रहा है।
सीरिया के अल्लेपो से लेकर
श्रीलंका के केन्डी तक
चीन के शिंगजियांग से लेकर
म्यांमार के रेखायन तक ।
इराक के बग़दाद से लेकर
ईरान के तेहरान तक
पाकिस्तान के बलूचिस्तान से लेकर
हिन्दुस्तान के कश्मीर तक
फिलिस्तीन गाज़ा से लेकर
अफगानिस्तान के काबुल तक।
यमन, नाइजीरिया, पोंगयांग से
वियतनाम तक
यहा पर बिखरी पड़ी है
लाखों इंसानी लाशें ओर हड्डीया।
इन पर रसायनो और मिसाइलो से
हमले हूए नही थे करवाये गए थे
बच्चे मरे नही थे मरवाये गए थे
उनके घर जले नही थे जलवाये गए थे
शरणार्थी बने नही थे बनाये गए थे
हूकुमतों के फरमान है
कहीं पर अमेरिका छोड़ने का तो
कहीं पर पाकिस्तान चले जाने का
कही पर पङोसी मुल्कों की सरहदों पर दिवारे बनाने का।
इंसानो को मरने और मारने की तरकीबे रची जा रही है
यह घृणा की आग फैली नही थी, फैलायी जा रही है
गाँधी और मार्टिन लुथर् मरे नही थे मरवाये गए थे
वोे बटवारे के वक्त कत्ल हुए नही थे, करवाए गए थे
खून और मांस के चिथड़े फैले नही थे, फैलाए गए थे
एनकाउंटर हुआ नही था करवाया गया था
जज, मंत्री पत्रकार और लेखक
मरे नही थे मरवाये गए थे
दगे हुए नही थे करवाये गए थे
हिन्दू और मुस्लमान लड़े नही थे
लङवाय गए थे
गाय मरी नही मरवाई गयी थी
अफवाहें फेली नही थी फेलाई गयी थी
भीड़ आयी नही थी बुलायी गयी थी
इंस्पेक्टर मरा नही मरवाया गया था
झूठ बोला नही था बुलवाया गया था
ये सब किसी ने करा नही था करवाया गया था
और जब जब ऐसा करवाया जाता है तब तब
सीरिया के समुद्र के किनारे पर मासूम बच्चे की लाश
हम इंसानों के वंशजो से सवाल करती है??
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